3 जून काँग्रेस ने विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार किया। हिंदू समाज तथा स्वयंसेवकों को यह जबरदस्त आघात लगा। विभाजन की अपरिहार्यता देखकर संघ ने हिंदुओं को मुस्लिम अत्याचारों से बचाने पर लक्ष्य केंद्रित किया। 300 से भी अधिक सहायता शिबिर हिंदू शरणार्थियों के लिए चलाए।
15 अगस्त भारत स्वाधीन हुआ।
16 सितम्बर गांधी जी ने दिल्ली में 500 स्वयंसेवकों को संबोधित किया।
18 अक्तूबर श्री गुरुजी ने कश्मीर महाराजा हरिसिंह से भेंट करके उन्हें भारत में कश्मीर के विलय का आग्रह किया।
आर्गनाईजर तथा पाञ्चजन्य साप्ताहिकों का प्रारंभ।