बांग्लादेश में हिन्दुओं तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हमले, हत्या, लूट, आगज़नी तथा महिलाओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार अत्यंत चिंताजनक हैं तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस की भर्त्सना करता है। वर्तमान की बांग्लादेश सरकार तथा अन्य एजेंसियां इसे रोकने के जगह केवल मूकदर्शक बनी हुई है। विवशतावश बांग्लादेश के हिन्दुओं द्वारा स्वरक्षण हेतु लोकतांत्रिक पद्धति से उठायी गई आवाज़ को दबाने हेतु उन्हीं पर अन्याय व अत्याचार का नया दौर उभरता दिख रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय (विशेष) का रेशीमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर के महर्षि व्यास सभागार में उद्घाटन हुआ. इस अवसर पर सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी, अ. भा. सह सेवा प्रमुख एवं वर्ग पालक अधिकारी राजकुमार जी मटाले तथा जोधपुर प्रांत संघचालक एवं सर्वाधिकारी हरदयाल वर्मा जी उपस्थित थे. उन्होंने भारत माता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. सह सरकार्यवाह द्वय मुकुंदजी और रामदत्त जी भी उपस्थित थे.
आज के इस युग में जिस परिस्थिति में हम रहते हैं, ऐसे एक-एक, दो-दो, इधर-उधर बिखरे, पुनीत जीवन का आदर्श रखनेवाले उत्पन्न होकर उनके द्वारा धर्म का ज्ञान, धर्म की प्रेरणा वितरित होने मात्र से काम नहीं होगा। आज के युग में तो राष्ट्र की रक्षा और पुन:स्थापना करने के लिए यह आवश्यक है कि धर्म के सभी प्रकार के सिद्धांतों को अंत:करण में सुव्यवस्थित ढंग से ग्रहण करते हुए अपना ऐहिक जीवन पुनीत बनाकर चलनेवाले, और समाज को अपनी छत्र-छाया में लेकर चलने की क्षमता रखनेवाले असंख्य लोगों का सुव्यवस्थित और सुदृढ़ संगठन।..
स्वयंसेवक होने से बढ़कर गर्व और सम्मान की दूसरी बात हमारे लिए कोर्इ नहीं है। जब हम कहते हैं कि मैं एक साधारण स्वयंसेवक हूँ, तब इस दायित्व का बोध हमें अपने हदय में रखना चाहिए कि यह दायित्व बहुत बड़ा है। समाज की हमसे बड़ी-बड़ी अपेक्षाएँ रहें और उन अपेक्षाओं को पूर्ण करते हुए हम उनसे भी अधिक अच्छे प्रमाणित हों। हर स्वयंसेवक ऐसे गुणवत्ता का बने इसके लिए संघ की सरल कार्यपद्धती है। संघ का समाज में प्रभाव अगर बढ़ा है और बढेगा तो केवल ऐसे स्वयंसेवकों के व्यवहार से ही बढेगा इसलिए स्वयंसेवक का संघ में स्थान अनन्यसाधारण ..
आज पुर देश में संघ का नाम बहुत फैला है परन्तु संघ के बारे में बहुत सारे लोगों को प्राथमिक जानकारी भी नहीं होती है। संघ की कार्यपद्धती अनौपचारिक तथा व्यक्तिगत संपर्क पर निर्भर होने के कारण प्रसार माध्यमों में तथा साहित्य में संघ के बारे में सही जानकारी भी बहुत कम उपलब्ध है। हिन्दू संगठन, संघ की सदस्यता, प्रचारक, संघचालक आदि संघ की परिभाषा ऐसे कई विषयों के बारे में लोगों के मन में कई भ्रांतियाँ होती है। इस प्रश्नावली से संघ की प्राथमिक जानकारी होगी है। वैसे तो संघ समझना तो संघ का प्रत्यक्ष अनुभव करना ..
१९२५ से चली अपनी दीर्घ यात्रा में संघ आज देश के शीर्ष और प्रभावी स्वयंसेवी संगठन के रूप में उभरा है। परन्तु इस कालखंड में काफी उतार चढ़ाव से संघ को गुजरना पड़ा है। समाज के सभी वर्गों से व्यक्तिगत संपर्क और ह्रदयपूर्वक संवाद की अपनी अनोखी कार्यपद्धति के कारण संघ ने बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना अत्यंत शांतिपूर्ण ढंग से किया है। आपातकाल के समय जनतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष, या वंचित वर्ग के लिए समाजसेवा के हजारो प्रकल्प खड़े करने की योजना, ऐसे विविध विषयों पर कार्य करते समय भी संघ का लक्ष्य और ध्येय एक ..