अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में मा. सरकार्यवाह द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन - 2018

09 Mar 2018 06:09:00

प. पू. सरसंघचालक जी, आदरणीय अखिल भारतीय पदाधिकारी बंधु, अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य गण, निमंत्रित तथा विशेष निमंत्रण पर उपस्थित बंधु, नवनिर्वाचित केंद्रीय प्रतिनिधि बंधु तथा समाज के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में दायित्व निर्वहन कर रहे ऐसे सभी उपस्थित बंधु, बहनों का अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में स्वागत है।

श्रद्धासुमन -

हम एक वेदना और रिक्तता का अनुभव करते हैं जब अपने कई निकटस्थ प्रियजन, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, कला क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियों की अनुपस्थिति का अनुभव हो। ऐसे कई महानुभाव कालप्रवाह में हमें छोड़कर अंतिम यात्रा पर प्रस्थान कर गये। जैसे -

1)पू. स्वामी जयेन्द्र सरस्वती - कांची -
2)श्री ए.व्ही.भास्करन - कोच्ची - वरिष्ठ प्रचारक, पूर्व प्रांत संगठन मंत्री, भारतीय विद्या निकेतन
3)श्री संकटाप्रसाद जी - लखनऊ - पूर्व अ.भा. संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ
4)श्री महावीर जी - चंदीगढ - पूर्व अ.भा.बौद्धिक प्रमुख
5)श्री वसंतराव बापट - कोलकाता - पूर्व अ.भा.व्यवस्था प्रमुख
6)श्री ईश्वरचंद गुप्त - कानपुर - पूर्व क्षेत्र संघचालक, पूर्वी उत्तरप्रदेश क्षेत्र
7)श्री नरेन्द्रभाई पंचासरा - सुरत - पूर्व सह-प्रांत प्रचारक, गुजरात
8)श्री रमेशप्रकाश - दिल्ली - पूर्व प्रांत संघचालक
9)श्री मोहन जोशी - दिल्ली - वरिष्ठ प्रचारक, वि. हिं. प.
10)श्री जगदीश जी सारडा (शास्त्रीजी जी) - टोरेन्टो - भारत के बाहर प्रथम शाखा लगानेवाले कार्यकर्ता
11)श्री विष्णुपंत (मामा) मुठाळ - नागपुर - ज्येष्ठ प्रचारक
12)श्री डी. शिवप्रकाश जी - विशाखापट्टणम् - पूर्व प्रांत संघचालक आंध्रप्रदेश
13)श्री सुब्बाराव जी - चेन्नई - जेष्ठ प्रचारक
14)श्री नरसिंहभाई पटेल - चंद्राला (गुजरात) - पूर्व मा. विभाग संघचालक गांधीनगर विभाग
15)श्री अनिल पत्की - नागपुर - पूर्व प्रांत संपर्क प्रमुख, विदर्भ
16)श्री कालीदास कानगो - पुणे - नागपुर प्रांत शारीरिक प्रमुख रहे
17)श्री रवीन्द्र गोसाई - लुधियाना - शाखा मुख्यशिक्षक - गोली मारकर हत्या
18)श्री व्ही. आनंदन् - केरल - सी.पी.एम्. गुंडों द्वारा हत्या
19)श्री श्यामप्रसाद - केरल - जेहादी तत्वों द्वारा हत्या
20)श्री मुरलीधर शर्मा - जयपुर - पूर्व प्रांत समरसता संयोजक
21)श्री सुभाषचन्द्र कटियार - जयपुर - प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य, वानप्रस्थी, भारती भवन की व्यवस्था में
22)श्री लक्ष्मण जी हर्षे - जालौन - पूर्व मा. विभाग संघचालक, उरई
23)श्री रोहिणी प्रामाणिक - कोलकाता - पूर्व प्रांत संगठन मंत्री, वि.हिं.प., द.बंग
24)श्री हरी आसुदानी - दिल्ली - सक्षम के दिल्ली प्रांत संगठन सचिव
25)श्री चिंतामण वनगा - पालघर - भाजपा के वर्तमान सांसद
26)श्री हुकुमसिंग - कैराना - भाजपा के वर्तमान सांसद
27)श्री यशवंतराव गाडगीळ - सांगली - प्रसिद्ध ज्वेलर्स एवं 20 साल तक सांगली शहर मा. संघचालक
28)श्री नारायणराव - चेन्नई - भाजपा के प्रथम अध्यक्ष
29)श्रीमति शकुनताई वराडपांडे - नागपुर - पूर्व प्रांत कार्यवाहिका, रा.से.समिति, विदर्भ प्रांत
30)श्री प. यु. वैद्य खडीवाले - पुणे - प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य
31)श्री जोसेफ पुन्नीकल - केरल - नॅशनॅलिस्ट चर्च मूव्हमेंट के प्रणेता
32)श्री मुजफ्फर हुसैन - मुंबई - पद्मश्री सम्मानित, प्रसिद्ध पत्रकार
33)श्री टी. विष्वंभरम् - केरल - जन्मभूमि दैनिक के पूर्व संपादक, संस्कृत विद्वान
34)डाॅ. पी. कुंजाबदुल्ला - केरल - मल्याळम् साहित्यकार
35)श्री के. गीतानंदन् - केरल - साहित्य अकादमी अवाॅर्ड विजेता, व्जजंदजीनससंस कला में पारंगत
36)श्री एम्. वासुदेवन् नायर - केरल - पद्मभूषण सम्मानित, कथ्थकली कलाकार
37)श्रीमती गिरीजादेवी - कोलकाता - प्रसिद्ध ठुमरी व शास्त्रीय संगीत गायिका
38)श्री उल्हास बापट - मुंबई - प्रसिद्ध संतूर वादक
39)श्री चंद्रशेखर रथ - ओडिसा - पद्मश्री सम्मानित साहित्यकार
40)श्रीमति सरस्वती राजमणि - चेन्नई - सुभाषबाबू की सेना में प्रथम महिला गुप्तचर
41)श्री रसिकलाल धारीवाल - पुणे - प्रसिद्ध उद्योगपति, माणिकचंद ग्रुप के संस्थापक
42)श्री गौतम अधिकारी - मुंबई - सब टीव्ही चॅनल चे संस्थापक
43)श्री अनिलभाई पटेल - गुजरात - पूर्व उद्योगमंत्री एवं गणपत युनिवर्सिटी, महेसाणा के संस्थापक
44)श्री प्रियरंजन दासमुन्शी - दिल्ली - पूर्व केन्द्रिय मंत्री
45)श्री मधुकरराव किंमतकर - नागपुर - माजी मंत्री, महाराष्ट्र राज्य
46)श्री वसंतराव डावखरे - मुंबई - महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष
47)श्री नारायण फरांदे - पुणे - महाराष्ट्र विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष
48)श्री शशि कपूर - मुंबई - सिने कलाकार
49)श्रीमति पार्वती घोष - ओडिसा - प्रख्यात ओडिया अभिनेत्री
50)श्री अरविंद मुदुली - ओडिसा - प्रसिद्ध ओडिया भजन गायक
51)श्रीमति श्रीदेवी - मुंबई - प्रसिद्ध अभिनेत्री

वैसे ही सीमा पर रक्षा का दायित्व निर्वहन करते हुए अपने कई वीर बंधु शत्रु देशों के तथा आतंकवादी शक्तियों के शिकार बने हैं। अत्यंत वेदना के साथ कहना होगा कि राजनैतिक असहिष्णुता के चलते अपने कई बंधु हिंसाचार की बलि चढ़ गये। विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं एवं दुर्घटनाओं के कारण अनेक लोग हमसे बिछड़ गये हैं।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ऐसे सभी दिवंगतों के दुःखी परिवारों के प्रति अपनी गहरी शोक-संवेदना प्रकट करती है। ईश्वर अपनी कृपा प्रदान कर दिवंगतों को सद्गति एवं शांति प्रदान करें।

ॐ शांति, शांति, शांतिः

 
कार्यस्थिति

2017-18 में संपन्न संघ शिक्षा वर्ग (सामान्य एवं विशेष ) तथा प्राथमिक शिक्षा वर्ग की जानकारी

संघ शिक्षा वर्ग :-


 
 

प्राथमिक शिक्षा वर्ग :-

 
 
शाखा वृत्त :-  

 
 
 

प. पू. सरसंघचालक जी का प्रवास

वर्ष 2017-2018 में प. पू. सरसंघचालक जी के प्रवास में कार्यकर्ता बैठकों के साथ विशेष महानुभावों से वार्तालाप तथा उनकी उपस्थिति में विभिन्न कार्यक्रम संपन्न हुए हैं।
 

 
 
  • रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष पू. स्वामी स्मरणानंद जी, मुंबई में बोहरा समाज के सम्माननीय सैय्यदना साहब, ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी, हंस फाउंडेशन के पू. भोले जी महाराज तथा पू. मंगलामाता जी, माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी आदि महानुभावों से मिलना हुआ।
  • संगीत क्षेत्र के जाने-माने कलाकार पद्मश्री राशिद खान, सिने कलाकार श्री अजय देवगण, पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी श्रीमान कल्याण जी चैबे, जीएमआर समूह के श्रीमान जी. एम्. राव से भी वार्तालाप हुआ।
 
विशेष कार्यक्रमों मे उपस्थिति 
 
  • रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समापन, बहियारा (आरा, बिहार)
  • भगिनी निवेदिता 150 जयंती निमित्त व्याख्यान, कोलकाता
  • गुरुतागद्दी - 350 साला प्रकाश पर्व विशेष समागम, दिल्ली
  • महाराष्ट्र चेंबर ऑफ़ कॉमर्स मुंबई मा. वालचंद स्मृति में व्याख्यान
  • नेशनल डिफेंस कॉलेज, दिल्ली - वार्तालाप
  • विविध देशों के दूतावासों के प्रमुखों के साथ अनौपचारिक वार्तालाप 
देवगिरी प्रांत के ’बारीपाडा’ ग्राम में गत 25 वर्षों से श्री चैतराम पवार जी के नेतृत्व मे ग्रामविकास का बहुआयामी कार्य चल रहा है। पर्यावरण रक्षा विषय पर प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा है। ग्रामविकास के क्षेत्र में जो बंधु कार्य कर रहे हैं ऐेसे कार्यकर्ताओं हेतु एक मार्गदर्शक प्रकल्प चल रहा है। प. पू. सरसंघचालक जी ने ग्रामदर्शन कर ग्रामवासियों से वार्तालाप किया।

 
 
सरकार्यवाह का प्रवास
 
वर्ष 2017-18 में क्षेत्रश: प्रवास की योजना बनाई थी। प्रवास में संगठनात्मक बैठकों के साथ ही दो प्रकार की विशेष बैठकों का आयोजन किया था। उन क्षेत्रों में वनवासी क्षेत्र में चल रहे कार्य का चिंतन, जो 8 क्षेत्रों में संपन्न हुई। जिसमें वनवासी क्षेत्र में कार्यरत स्थानीय और अखिल भारतीय संस्थाओं के तत्त्वावधान में चलने वाले कार्य के प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे। वनवासी क्षेत्र के वर्तमान में चलने वाले कार्य की जानकारी के साथ ही भविष्य के कार्य के संदर्भ में विचार हुआ। व्यवस्था विभाग की बैठकों का भी आयोजन हुआ। कुछ स्थानों पर विविध प्रकार के कार्यक्रमों की बैठकें भी हुईं। 
 
  • सेवा विभाग ने ‘‘सेवागाथा’’ नाम से एक वेबसाइट का निर्माण किया है। सेवाक्षेत्र में आनेवाले अनुभवों के आधारपर कथालेखन किया जाएगा। इसका लोकार्पण समारोह भोपाल में संपन्न हुआ।
  • तेलंगाणा प्रांत में कार्यकर्ता शिविर संपन्न हुआ। खंड/नगर एवं उपर की सभी इकाईयों के कार्यकर्ता अपेक्षित थे। द्वि-दिवसीय शिविर करीनगर में संपन्न हुआ। 1633 कार्यकर्ता उपस्थित थे। कुल 56% उपस्थिति रही। 
  • पुणे महानगर में उपक्रमषील तरुण व्यवसायी शाखाओं में से 35 शाखाओं का चयन किया था। इन शाखाओं के शाखा टोली के कार्यकर्ता अपेक्षित थे। अपेक्षित 215 में से 190 कार्यकर्ता उपस्थित थे। अनुभव कथन प्रभावी एवं प्रेरक रहा।
  • राउरकेला (पश्चिम ओडिसा) के प्रवास में सामाजिक सद्भाव बैठक आयोजित की गई। विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और 42 समुदायों के 149 बंधु उपस्थित रहे। प्रासंगिक विषयों पर चर्चा हुई।
  • देहरादून महानगर में शाखा दर्शन कार्यक्रम संपन्न हुआ। एक ही मैदान पर 57 व्यवसायी शाखायें एक ही समय लगी थीं। 1257 तरुणों की उपस्थिति रही।
  • सिलीगुड़ी में बस्ती कार्य को गति मिले, इस दृष्टि से बस्ती प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई। 108 में से 107 बस्तियों के 170 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।
  • मालवा प्रांत के धार जिले में सुंद्रेल स्थान पर अखिल भारतीय ग्राम विकास तथा गौसेवा में लगे कार्यकर्ताओं की द्वि-दिवसीय बैठक संपन्न हुई। 33 प्रांतों से 182 कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व रहा।

 कार्यविभाग वृत्त

 
शारीरिक विभाग:- ‘अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ’ उपक्रम गत तीन वर्षों से चल रहा है। प्रहार यज्ञ में शाखाओं की, स्वयंसेवकों की सहभागिता में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस वर्ष 32434 शाखाओं और 2306 साप्ताहिक मिलनों से 4,43,811 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। उनमें 1000 से अधिक प्रहार लगानेवाले 95815 और 40 वर्ष से कम आयु के 3,34,142 स्वयंसेवक हैं।
 
बौद्धिक विभाग:- गीत, प्रार्थना, वैचारिक प्रस्तुति, कथाकथन और समाचार समीक्षा आदि विषयों को लेकर अखिल भारतीय स्तर पर 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। सभी प्रांतों का प्रतिनिधित्व रहा। कुल 246 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी विषयों को गहराई से समझने का अवसर प्राप्त हुआ। श्री सुरेश जी सोनी और श्री भागय्या जी द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
 
इस वर्ष दक्षिण मध्य, पश्चिम, उत्तर पश्चिम तथा उत्तर क्षेत्र में चयनित कार्यकर्ता वर्ग संपन्न हुए। 33 प्रांतों में भी कार्यकर्ताओं के इसी प्रकार के वर्ग आयोजित किये गये।
 
प्रचार विभाग:- 
 
  • सोशल मीडिया की अखिल भारतीय कार्यशाला भोपाल में संपन्न हुई। 38 प्रांतों से 148 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इसमें जनसंगठनों के कार्यकर्ता भी सहभागी हुए।
  • प.पू. सरसंघचालक जी के ‘‘विजयादशमी’’ भाषण का अधिकृत ‘‘फेसबुक पृष्ठ’’ पर सीधा व्हिडिओ प्रसारण किया गया जिसे 19 लाख लोगों ने देखा और सुना।
  • प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी ‘‘नारद जयंती’’ के कार्यक्रम संपन्न हुए। विभिन्न स्थानों पर 40,000 नागरिक सहभागी हुए जिसमें 10,000 पत्रकार बंधु थे। 1300 पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
 
  • देशभर में सुदूर ग्रामों तक जागरण पत्रिका जाती है। 12 भाषाओं की 30 पत्रिकाएँ देशभर के 2 लाख से अधिक ग्रामों तक पहुँचती हैं। हरियाणा प्रांत में विशेष प्रयोग किया गया। पत्रिका पहुँचाने में डाककर्मियों का अच्छा सहयोग रहता है ऐसे 572 डाककर्मियों का अभिनंदन करने का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
  • भिन्न-भिन्न स्थानों पर पत्रकारों हेतु ‘‘संघ परिचय वर्ग’’ का आयोजन किया गया, जिसमें 7 प्रांतों में 541 पत्रकार सम्मिलित हुए। 
 संपर्क विभाग:- गत कुछ वर्षों से देश के प्रमुख स्थानों पर प.पू. सरसंघचालक जी के ‘विजयादशमी’ भाषण पर प्रबुद्ध बंधुओं से संवाद के कार्यक्रम हो रहे हैं। इस वर्ष 18 स्थानों पर 1007 की उपस्थिति रही। दिल्ली के कार्यक्रम में स्वयं प.पू.सरसंघचालक जी तथा अन्य स्थानों पर अखिल भारतीय अधिकारियों की उपस्थिति में कार्यक्रम हुए। एक सघन, सार्थक चर्चा रही।

 
 
 विशेष उल्लेखनीय यानी संघकार्य की विकासगाथा एवं प्रमुख घटनाओं की जानकारी से समृद्ध ‘‘Coffee Table Book ’’ का निर्माण किया गया। सुप्रसिद्ध उद्योजक श्रीमान अभयकुमार फिरोदिया जी के करकमलों से नागपुर में इसका विमोचन किया गया।देशभर के मूर्धन्य महानुभावों को प्रत्यक्ष मिलकर इसकी प्रति देने का कार्यक्रम चल रहा है।
 
नवंबर मास में नागपुर में संगीत के विभिन्न रागों पर आधारित ‘स्वरसम्मोहिनी’ यह घोष वादन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। श्री. श्री. रविशंकर जी के साथ ही संगीतक्षेत्र की जानी-मानी हस्तियाँ इस समारोह में उपस्थित थीं। कार्यक्रम के पश्चात् प.पू. सरसंघचालक जी का सभी आगंतुक महानुभावों के साथ वार्तालाप भी हुआ।
 
संगठनात्मक दृष्टि से बैठकें, प्रशिक्षण वर्ग संपन्न हो रहे हैं। परिणामतः समाज का संभ्रांत वर्ग संघ के निकट आ रहा है।
 
गतिविधि के कार्य
 
1) गौ-सेवा: 2017-18 मे विविध कार्यक्रम, उपक्रम संपन्न हुए हैं। गौ-कथा का आयोजन 323 स्थानों पर हुआ जिसमें 30,800 से अधिक बहनों-भाईयों की उपस्थिति रही। 232 स्थानों पर प्रशिक्षण वर्ग हुए जिसमें 5849 कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। देशभर में 1500 गौशालाएँ संपर्क में हैं। पंचगव्य चिकित्सा विषय को लेकर 22 प्रांतों में गोष्ठियाँ हुईं जिसमें 612 चिकित्सक उपस्थित रहे। 18,590 कृषकों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया गया। 
 
2) समरसता:- 2, 3 दिसंबर 2017 को पुना में एक अखिल भारतीय बैठक संपन्न हुई। बैठक में 33 प्रांतों के 70 महिला एवं पुरुष कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बैठक में कार्यकर्ताओं ने अपने प्रांत में चल रहे प्रयोगों की जानकारी एवं उसके परिणामों के बारे में बताया। अनेक प्रांतों में प्रांत अभ्यास वर्ग भी संपन्न हुए हैं। कार्य को गति देने हेतु एक केन्द्रिय टोली का भी गठन किया गया। 
 
 तेलंगाणा प्रांत में स्वयंसेवकों ने कुछ चयनित गावों में पू. साधु-संत एवं समाज के सहयोग से कुछ विशेष प्रयास किये, जिसके फलस्वरुप प्रांत के 200 गावों में एक स्मशान, मंदिर में सबको प्रवेश एवं हॉटेल में सभी के लिये समान ग्लास रखना यह संभव हो पाया है।
 
प्रांतों में संपन्न विशेष कार्यक्रम
 
(1) केरल - प्रवासी कार्यकर्ता शिविर - प.पू. सरसंघचालक जी के प्रवास को निमित्त बनाकर प्रांत के प्रवासी कार्यकर्ताओं का त्रि-दिवसीय शिविर आयोजित किया गया। 7032 अपेक्षित कार्यकर्ताओं में से 4308 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति (62%) रही। कार्यक्रम में प्रत्येक जिला एक नया गीत बनाकर लाए, ऐसी योजना बनी थी। कुल 37 नए गीतों की रचना हुई। शिविर में संघकार्य का विकास और सामाजिक परिस्थिति तथा केरल का इतिहास दर्शाने वाली प्रदर्शनी लगाई गई थी। समापन कार्यक्रम में व्यायामयोग, घोष, दंड इत्यादि का प्रदर्शन हुआ। 400 स्वयंसेवकों ने ‘‘सतत दंड प्रयोग’’ में दंड के 15 प्रयोग प्रस्तुत किये। 
 
26 जनवरी, गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम विद्यालय परिसर में प.पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
 
(2) द. तमिलनाडु - प्रौढ़ साप्ताहिक मिलन सांघिक - कन्याकुमारी जिले में अपने कार्य में निरंतर वृद्धि हो रही है। विशेष प्रयासों के तहत प्रौढ़ साप्ताहिक मिलन पर ध्यान केंद्रित किया गया। वर्तमान में जिले में 106 प्रौढ़ मिलन चल रहे हैं। नवंबर मास में कोलनकोड में प्रौढ़ मिलन सांघिक आयोजित किया गया जिसमें 82 साप्ताहिक मिलन से 367 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। प्रौढ़ स्वयंसेवकों को ध्यान में रखकर विशेष प्रकार के शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रमों पर विचार हो रहा है। 
 
विशेषतः कुटुंब प्रबोधन व समरसता के साथ ही स्थानीय सामाजिक प्रश्नों के समाधान की दिशा में प्रौढ़ स्वयंसेवकों की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर योजना बन रही है।
 
छोटे व्यवसाय करनेवालों के साथ ही चिकित्सक, इंजीनियर्स, अवकाश प्राप्त शासकीय कर्मचारियों का सहभाग बढ़ रहा है।
 
(3) तेलंगाणा:- विजयदशमी उत्सव विशेष प्रयोग - भाग्यनगर महानगर में प्रतिवर्ष विजयदशमी उत्सव पर जिलाश: पथसंचलन होता था। इस वर्ष सभी दो विभागों और 10 जिलों का एक ही सामूहिक उत्सव संपन्न हुआ। इसे निमित्त बनाकर भविष्य में सभी बस्तियाँ कार्ययुक्त हों इस दृष्टि से बस्तिश: सूचियाँ और गट व्यवस्था पर ध्यान दिया। 
 
उत्सव में प्रत्येक बस्ति से न्यूनतम 10 संख्या रहे, ऐसा प्रयास किया गया। महानगर में कुल 765 बस्तियों में से 626 बस्तियों से (82%) 7397 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेष में पथसंचलन में सम्मिलित हुए। विजयदशमी उत्सव में 11,000 से अधिक स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही। लगभग 900 माता-भगिनियों की भी उपस्थिति रही। 
 
4) आंध्रप्रदेश - महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य - इस वर्ष प्रांत में विभागश: महाविद्यालयीन छात्रों के शिविर संपन्न हुए। शाखा, साप्ताहिक मिलन एवं श्रेणी बैठकों में वृद्धि हो यह ध्यान में रखकर योजना बनाई गई। कुल 11 शिविर संपन्न हुए जिसमें 585 महाविद्यालयों से 4641 विद्यार्थी पूर्ण गणवेष में सहभागी हुए। 48 विद्यार्थी अल्पकालीन विस्तारक बने है। इन सारे प्रयासों के परिणामस्वरूप शाखाएँ 98 से 139, साप्ताहिक मिलन 33 से 136 और 111 मासिक बैठकें प्रारंभ हुई हैं। प्राथमिक शिक्षा वर्ग में 808 महाविद्यालयीन और 68 व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के स्वयंसेवक सहभागी हुए। 
 
(5) कोकण:- हिन्दू चेतना संगम - प्रांत में इस वर्ष 7 जनवरी, 2018 को एक वैशिष्ट्यपूर्ण कार्यक्रम ‘‘हिन्दू चेतना संगम - सज्जन शक्ति सर्वत्र’’ आयोजित किया गया। इसकी विशेषता यह रही कि एक ही दिन प्रांत के सभी खंडों तथा नगरों में तरुण स्वयंसेवकों का गणवेष में एकत्रीकरण। कुल 255 स्थानों पर एकत्रीकरण हुए। उसमें 506 मंडलों से, 2372 बस्तियों से और 1471 ग्रामों से 34,448 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अन्य 48,814 पुरुष एवं 24,268 महिलाओं की भी उपस्थिति रही। 

 
 
मंडल तथा बस्ति कार्ययुक्त हो, इस दृष्टि से यह आयोजन सफल रहा। कार्यक्रम में कुल 89% मंडल, 85% नगरीय बस्ति एवं प्रांत के 25% ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा। 
 
अनुवर्तन की दृष्टि से बस्ति तथा मंडलों में भारतमाता पूजन के कार्यक्रम संपन्न हुए हैं। व्यवसायी स्वयंसेवकों के लिए विभाग स्तर पर प्राथमिक शिक्षा वर्ग और सभी नये स्वयंसेवकों के लिये संघ परिचय वर्गों का आयोजन करने की योजना बन रही है। 
 
(6) पश्चिम महाराष्ट्र:- संत संगम - 2016 में संपन्न ‘‘शिवशक्ति संगम’’ और गत 3 वर्षों से ‘‘निर्मलवारी’’ (प्रति वर्ष आषाढ़ मास में लाखों भक्त पंढरपुर की पदयात्रा करते हैं) शीर्षक के तहत यात्रा मार्ग की स्वच्छता का प्रयास विविध धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से हजारों स्वयंसेवक करते हैं। इसमें अनेक संत-महंतों से अच्छा संपर्क हुआ है। यह संपर्क अधिक सघन हो और ऐसे धर्माचार्य, पंथ, संप्रदायों के प्रमुख अपने परिवर्तन के कार्य में सहभागी होते जाएँ इस दृष्टि से ‘‘धर्माचार्य संपर्क’’ का कार्य प्रारंभ हुआ। 
 
 
 
प्रांत की सूची में 400 धर्माचार्य हैं। 18 जनवरी, 2018 को श्री क्षेत्र पंढरपुर में प.पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में ‘‘संत संगम’’ का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 327 संत, धर्माचार्य सम्मिलित हुए। 35 प्रमुख संतों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है। 
 

 
मंदिरों की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका और सामाजिक परिवर्तन में संतों का सहभाग - ऐसे दो विषयों पर अच्छी चर्चा हुई। कार्यक्रम के पश्चात् अनुवर्तन के प्रयास भी प्रारंभ हुए हैं। प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में संपन्न यह ‘‘संत संगम’’ निश्चित ही परिणामकारी सिद्ध होगा।
 
(7) मध्यभारत:-
 
(1) महाविद्यालय परिसर में स्वामी विवेकानंद दिवस - स्वामी विवेकानंद जी का जीवन और विचार हमेशा ही समाज हेतु और विशेषतः युवाओं के लिए प्रेरक रहे हैं। स्वामी विवेकानंद जी का जीवन केंद्रबिंदु में रखकर प्रांत के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के परिसर में 1 से 5 जनवरी, 2018 तक कार्यक्रम करने की योजना बनी। चयनित महाविद्यालयों की सूची बनी और प्रत्येक महाविद्यालयों में कार्यकर्ताओं की टोली का निर्माण हो, ऐसा प्रयास किया गया। कार्यक्रम के स्वरूप में भारत जागो दौड़, कविता पाठ, भाषण प्रतियोगिता, परिसर में चित्र अनावरण एवं उद्बोधन आदि कार्यक्रम हुए। प्रांत में 27 जिलों के 112 महाविद्यालयों तथा संस्थाओं में कार्यक्रम संपन्न हुए जिनमें 11,213 छात्र-छात्राएँ और 213 प्राध्यापक बंधु सम्मिलित हुए। 
 
(2) जागरण श्रेणी कार्यक्रम, विदिशा - विदिशा नगर में 5 उपनगर, 20 बस्तियाँ और 118 मोहल्ले हैं। नगर की जनसंख्या 1 लाख 87 हजार है। जागरण कार्यक्रम मोहल्ला तथा बस्तिश: हों ऐसी योजना बनाई गई। कार्यक्रम की सफलता हेतु बस्ती, मोहल्ला, उपनगर स्तर पर विभिन्न प्रकार की 493 बैठकों का आयोजन किया गया। पश्चात् मोहल्लाश: 290 कार्यक्रम हुए जिनमें 14,130 महिला, पुरुष सहभागी हुए। बस्तीश: 20 कार्यक्रम हुए जिसमें 7994 और उपनगरों के 25 कार्यक्रमों में 15071 नागरिक महिला, पुरुष सहभागी हुए। संपूर्ण नगर में कुल 415 कार्यक्रमों में 37,196 नागरिक सहभागी हुए जिनमें 12,100 माताओं की उपस्थिति विशेष है।
 
उपरोक्त कार्यक्रम में लगे कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन प.पू.सरसंघचालक जी की उपस्थिति में 12 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ, जिसमें अन्य पदाधिकारियों सहित कुल 3472 कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
 
(8) महाकौशल -
 
(1) छतरपुर विभाग एकत्रीकरण - छतरपुर विभाग के स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण 7 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ। योजना हेतु 262 बैठकें हुईं एवं 98 कार्यकर्ता एक सप्ताह के लिए विस्तारक गए। एकत्रीकरण में 313 मंडलों से 860 ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा। कार्यक्रम में 5588 स्वयंसेवक गणवेष में तथा 2230 नागरिक उपस्थित थे। वर्तमान में 20 नए मंडल शाखायुक्त और 24 नए मंडल संपर्कयुक्त हुए हैं। 30 नए शाखा स्थान बढ़े हैं। 
 
(2) राष्ट्रशक्ति सम्मेलन, पातालकोट (छिन्दवाड़ा) - छिन्दवाड़ा जिले के पातालकोट परिसर में, जो भारिया, गोंड, मवासी आदि जनजातियों के निवास का क्षेत्र है, 23 जनवरी, 2018 को एक राष्ट्रशक्ति सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें 90 ग्रामों से 9,245 पुरुष एवं 4,500 महिलाएँ सम्मिलित हुईं। कार्यक्रम में ‘‘पंच माता संरक्षण’’ का संकल्प लिया गया। जननी, नर्मदामाता, धरतीमाता, गौमाता और भारतमाता, ये पंचमाताएँ हैै। संतमहानुभावों की उपस्थिति में संपन्न इस समारोह में 32 ग्राम वैद्यों का भी सम्मान किया गया। 
 
 
(9) चित्तौड़:-
 
(1) सामाजिक समरसता बैठकें - प्रांत में ग्रामीण क्षेत्र के शाखा स्थान, साप्ताहिक मिलन एवं संघ मंडली के स्थानों में सामाजिक समरसता बैठकें संपन्न हों, ऐसी योजना बनी। स्थानों का निर्धारण और कार्यकर्ताओं का चयन और प्रशिक्षण किया गया।
प्रांत में 1355 स्थानों पर बैठकें संपन्न हुईं। जिनमें 26,764 पुरुष और 549 महिलायें सहभागी हुई। अधिकतम 35 समूहों के बंधु सम्मिलित हुए। एक कुंआ, एक शमशान तथा मंदिर प्रवेश इन विषयों के साथ ही मतांतरण, लव जेहाद, जनसंख्या असंतुलन आदि विषयों पर भी सार्थक चर्चा हुई। अनुवर्तन की दृष्टि से 127 ग्रामों में संयोजक भी तय हुए हैं।
 
 (2) विस्तारक योजना - प्रांत में 24 से 31 दिसंबर, 2017 तक अल्पकालीन विस्तारक योजना बनी थी। कुल 1,356 ग्रामों में विस्तारक गए जिसमें 682 नए स्थान और 327 मुख्य मार्ग के ग्राम थे। कुल विस्तारक संख्या 3,819 रही। 143 विस्तारक 7 दिन से अधिक का समय देने वाले थे। नगरीय विस्तारक योजना अभी बाकी है।
 
(10) जयपुर:- ‘‘स्वर गोविंदम्’’ घोष शिविर - 5 नवंबर, 2017 को जयपुर में ‘स्वर गोविंदम्’ घोष शिविर संपन्न हुआ।108 खंड एवं नगरों से 1,251 घोषवादक सहभागी हुए।

 
शिविर में 108 राजस्थानी वाद्यों की प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही। घोषवादकों का द्वि-धारा संचलन प्रभावी रहा। 6 कि.मी. के संचलन मार्ग पर 48 घंटे परिश्रम करते हुए 2,200 महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने 1लाख 55 हजार वर्ग फीट की रंगोली का निर्माण किया।

 
 
सार्वजनिक समारोह के साक्षी बने 33,000 महिला-पुरुष, प्रचार माध्यम के समूहों ने प.पू.सरसंघचालक जी के साथ इस भव्य पथसंचलन का अवलोकन किया। 
 
(11) दिल्ली - कार्यविस्तार - दिल्ली प्रांत कार्यविस्तार योजना के तहत 508 शाखाओं की वृद्धि हुई हैं, जो 28.5% है। इसके लिए सभी शाखाओं में वार्षिकोत्सव हो, यह आग्रह रखा गया। 92% शाखाओं के वार्षिकोत्सव संपन्न हुए। 86.5% शाखाओं ने न्यूनतम एक उपक्रम किया है। 
 
(12) हरियाणा -
(1) समग्र ग्राम विकास योजना के तहत ‘जैविक कृषि’ विषय को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 1200 कृषक सहभागी हुए। 
 
(2) गुरुग्राम में त्रि-दिवसीय बस्ती प्रमुखों का शिविर संपन्न हुआ। शिविर के निमित्त पूरे प्रांत में 1,049 बस्तियों में से 841 बस्ती प्रमुख निश्चित हुए। शिविर में 587 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। 
 
(3) पलवल जिले का समरस गंगा महोत्सव: पलवल जिले में 2017 को गंगा महोत्सव संपन्न हुआ। जिले के सभी 298 ग्रामों का प्रतिनिधित्व हुआ। 47 शहीदों के ग्रामों से और पलवल नगर के 60 मंदिरों से मिट्टी के कलश लेकर यात्राएँ निकाली गईं। इस निमित्त 700 बैठकें हुईं। परिणामतः महोत्सव में 18,000 भाई-बहनें सहभागी हुए। अपने कार्य की दृष्टि से सभी मंडलों से 1000 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित रहे। शारीरिक प्रदर्शन भी प्रभावी रहा। अवकाश प्राप्त मेजर जनरल जी. डी. बख्शी और संतश्रेष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेवजी की प्रेरक उपस्थिति में यह महोत्सव संपन्न हुआ।  
 
(13) मेरठ:- ‘‘राष्ट्रोदय स्वयंसेवक समागम’’ बहुत ही उत्साह के साथ संपन्न हुआ। समागम में सभी मंडल (987) एवं बस्तियों (1553) से, 7649 गावों से 1,45,322 स्वयंसेवकों ने सहभाग लिया। उसमें 1,01,712 स्वयंसेवक 40 वर्ष से कम आयु के युवा थे। गत कुछ वर्षों से सभी मंडल कार्ययुक्त हो ऐसा प्रयास चल रहा था।

 
 
इसके परिणामस्वरूप इस कार्यक्रम को सफलता मिली। इस समागम के लिये 3 जिलों के 3 लाख परिवारों से 6 लाख ‘फूड पॅकेटस्’ एकत्रित किये गये थे। 
 
(14) दक्षिण बिहार - पटना महानगर में सभी बस्तीयाँ कार्ययुक्त हों, संपर्कयुक्त हो इस दृष्टि से दिसंबर 2017 से बृहद प्रयास प्रारंभ किये गये। 11 फरवरी, 2018 को प. पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में अधिकाधिक बस्तियों का प्रतिनिधित्व हो, ऐसा एक एकत्रीकरण तय किया गया। उसके लिए विस्तारक योजना, बस्तीशः बैठकं, बस्तीशः स्वयंसेवकों की सूची बनाकर तैयारी प्रारंभ हुई। 4 फरवरी को नगरशः एकत्रीकरण हुए जिनमें 206 बस्तीयों में से 156 बस्तीयों का प्रतिनिधित्व हुआ। 11 फरवरी के एकत्रीकरण में 194 बस्तियों से 3,950 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। 50 माता-बहनें भी उपस्थित रहीं। पटना महानगर की कार्यवृद्धि की दृष्टि से यह कार्यक्रम उपयुक्त सिद्ध हुआ है। 
 
(15) दक्षिण बंग:-
 
1) श्री रामनवमी उद्यापन - गत अप्रैल 2017 में श्री रामनवमी के अवसर पर अभूतपूर्व जनजागरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। 210 स्थानों पर शोभायात्रायएँ निकाली गईं। जिनमे 18 लाख नागरिक सहभागी हुए। 
 
 
 
 2) स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो भाषण के 125 वर्ष पूर्ण हुए; उस निमित्त से सितंबर मास में प्रांत में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। 85 लाख पुस्तिकाएँ और 13 लाख चिपकियाँ (Stickers ) वितरित की गईं। इस अवसर पर आयोजित साइकिल यात्रा में 30,000 और मोटरसाइकिल यात्रा में 43,300 से अधिक युवक सहभागी हुए। संपन्न हुई सभाओं मे 1.75 लाख नागरिक उपस्थित रहे। 4 लाख से अधिक गृह संपर्क किया गया। इस कार्यक्रम में 412 खंडों में से 382 खंड, 3365 मंडलों में से 1805 मंडल में संपर्क किया गया। परिणामतः 300 साप्ताहिक मिलन की वृद्धि हुई।
 
(16) उत्तर असम:- लुइतपरिया हिन्दू समावेश - उत्तर असम प्रांत के स्वयंसेवकों का विशाल समावेश गुवाहाटी में 21 जनवरी, 2018 को संपन्न हुआ। 239 खंडों से (96%), 46 नगरों से, 1511 मंडलों से (70%) और नगर/महानगर की 90% बस्तियों से प्रतिनिधित्व रहा। पूर्ण गणवेष में स्वयंसेवकों की कुल उपस्थिति 31,351 थी। हिन्दू समावेश में 35,000 नागरिकों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय है। 

 
 
विशेष मंच पर 65 संत, सत्राधिकारों की और 75 गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति संघ कार्य की स्वीकार्यता का ही द्योतक है। कार्यक्रम की सफलता हेतु गुवाहाटी महानगर के 14 हजार परिवारों का सहयोग अभूतपूर्व रहा।
 
 
विभिन्न जनजाति, भाषाभाषी, पंथ-संप्रदायों के महानुभावों की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा ध्यान में आती है। प्रसार माध्यमों का सहयोग अत्यंत सकारात्मक रहा है। केवल उत्तर असम के ही नहीं तो सारे पूर्वोत्तर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ानेवाला यह कार्यक्रम सिद्ध हुआ है।
 
 
 
कार्यक्रम के पश्चात् संपन्न कार्यकर्ता बैठक में 840 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। समावेश और कार्यकर्ता बैठक में प.पू.सरसंघचालक जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। 
 
(17) दक्षिण असम:- अगरतला मे संपन्न हिन्दू सम्मेलन:- 17 सितंबर, 2017 को त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला में विशाल हिन्दू सम्मेलन संपन्न हुआ। जून 2017 से कार्यक्रम की पूर्व तैयारियाँ प्रारंभ हुई थीं। सभी ग्राम पंचायतों तक पहुँचना और अधिकतम ग्रामों का प्रतिनिधित्व हो, यह प्रयास रहा। कुल सभी जनजाति समूहों से संपर्क की योजना बनाई गई। गुरुपूजन, रक्षाबंधन तथा विजयादशमी के निमित्त कार्यक्रम क्रमबद्ध होते गए। 
 

 
 
गृह बैठकें, संघ परिचय वर्ग आदि के माध्यम से नए स्थान और नए-नए परिवारों तक पहुँचने का प्रयास किया गया। प्रचार के प्रचलित माध्यमों का उपयोग न करते हुए संपर्क के द्वारा ही कार्यक्रम का निमंत्रण पहुँचाया गया। कार्यक्रम की शृंखला में घर पर भगवाध्वज लगाने का कार्यक्रम हुआ। 2 दिन में 1 लाख से अधिक घरों तक पहुँचने में सफल हुए।
 
प. पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति मैं यह विशाल सम्मेलन संपन्न हुआ। राज्य के 1043 ग्रामों में से 505 ग्रामों का प्रतिनिधित्व रहा। कुल 3346 गृह बैठकें हुईं जिनमें 15 हजार की उपस्थिति रही। सम्मेलन में लगभग 26,000 हिन्दू सम्मिलित हुए। 800 से अधिक कार्यकर्ताओं की सक्रियता रही।
 
पूर्वोतर के त्रिपुरा राज्य में संपन्न सम्मेलन सभी दृष्टि से परिणामकारक रहा है।
 
राष्ट्रीय परिदृश्य
 
देशभर में अपने कार्य के प्रति विश्वास के साथ अपेक्षाएँ भी बढ़ी है, यह हम सब अनुभव करते हैं। विभिन्न प्रांतों में संपन्न कार्यक्रमों में हिन्दू समाज की सहभागिता से यही अनुभव आ रहा है। पूर्वोत्तर के राज्यों में आयोजित हिन्दू सम्मेलन विशेषतः त्रिपुरा राज्य का सम्मेलन कई बातों में प्रेरक अनुभव देने वाला रहा है। सामाजिक, धार्मिक, औद्योगिक क्षेत्रों के महानुभावों का प्रकट होने वाला प्रतिभाव अपने कार्य की स्वीकार्यता प्रदर्शित करता है।
 
इसके साथ ही समाज में आपसी संघर्ष की घटनाएँ सबके लिए चिंता का विषय है। ऐसी घटनाओं में घटित हिंसा, सार्वजनिक संपत्ति का होने वाला नुकसान - यह पूर्णतः निंदनीय है। भूतकाल से पाठ लेकर वर्तमान में निर्माण होने वाली समस्याएँ सुलझाकर सौहार्दपूर्ण एवं स्वस्थ वातावरण बनाना सबकी प्राथमिकता बननी चाहिए। ऐसे अवसरों पर विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता रहती है।
 
वैसे ही समाजमन को आहत करने वाली घटनाएँ भी घटती रहती हैं और सामूहिक रूप से आक्रोश प्रकट होता है। संबंधित सभी पक्षों को यह ध्यान में रखने की आवश्यकता रहती है कि किसी भी कारण से, व्यवहार से, जनभावनाओं और समाज के सम्मान को ठेस न पहुँचे। हम सबका मिलकर एक बृहद् परिवार है, अतः परस्पर संबंध और विश्वास सशक्त रूप से बना रहना चाहिए। ऐसे अवसरों पर धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक नेतृत्व की सकारात्मक पहल महत्वपूर्ण बन जाती है।
 
न्याय व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था आदि के प्रति सम्मान एवं विश्वास को धक्का न लगे, इसकी चिंता होनी चाहिए। संविधान, कानून व्यवस्था में अपनी बात रखने का अधिकार हमें प्राप्त है। उन मर्यादाओं का पालन भी आवश्यक है। समाज में विभेद, भ्रांत धारणा फैलाने वाली शक्तियाँ सक्रिय होती हुई दिखाई देती हैं। इन सारी परिस्थितियों में अत्यंत संयम और कुशलता के साथ कार्य करते हुए अपने कार्य की सफलता में ही कई प्रश्नों का समाधान है, यह विश्वास रखते हुए हमें परिश्रमपूर्वक आगे बढ़ना है। संघकार्य ही हम सबका जीवन ध्येय बने।
 
सफल-विफल और आशा-निराशा
इसकी और कहाँ जिज्ञासा
बीहड़ता में राह बनाता,
राही मचल-मचल चलता है
जीवनभर अविचल चलता है ।।
 
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